- लोकाभिमुख छवि को नुकसान पहुँचाने हेतु केंद्रीय वित्त मंत्री बनाया जायेगा

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नागपुर : महाराष्ट्र में भाजपा को गुटों में विभक्त होने से बचाने के लिए दोनों गुट (गडकरी-फडणवीस) को उम्मीद के अनुरूप सम्मानित करने का मानस बना चुकी है, जिसके तहत भाजपा प्रदेशाध्यक्ष फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाये जाने तथा मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार केंद्रीय परिवहन मंत्री गडकरी को प्रदेश से अलग रखने की कवायद के तहत पदोन्नति देकर महाराष्ट्र की वर्त्तमान गुटबाजी को पूर्ण रूप से ख़त्म कर केंद्र में ही रखने के लिए उन्हें वित्त मंत्री बनाये जाने की चर्चा है। अगर सूत्रों की माने , २९ अक्टूबर को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में राज्य मंत्रिमंडल के गठन के पश्चात् दिल्ली में गडकरी को उक्त मंत्रालय का जिम्मा सौंपा दिया जायेगा ? इस राजनितिक फेरबदल के बाद जहाँ महाराष्ट्र की गुटबाजी समाप्त हो जाएगी वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दोनों गुटों से किये गए वादे को भी पूरा कर एक राजनितिक स्थिरता कायम करने में सफल हो जायेंगे। इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद विदर्भ खास कर नागपुर के लिए काफी सम्मान की बात होगी कि राज्य से ही मुख्यमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री पहली बार नागपुर से होंगे।
समझा जाता है कि विगत सप्ताह विधानसभा चुनाव में भाजपा महाराष्ट्र में सत्ता हासिल करने के करीब पहुँचने के बाद मुख्यमंत्री पद के मुद्दे को लेकर दो गुटों में मतभेद उभरने लगे थे तथा दोनों गुटों की तरफ से अपने-अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने की गुटबाजी अस्थिरता के संकेत दे रही थी. वहीं पश्चिम महाराष्ट्र के भाजपाई भी मौन होकर पूरे घटनाक्रम पर मानो ऐसा लग रहा था तमाशा देख रहे हो. ऐसे माहौल में चतुर राजनैतिज्ञ की भांति मौन समर्थन देते हुए दोनों गुट खुलकर विपरीत बयानबाजी कर रहे थे.परंतु दोनों दावेदार भाजपा शीर्षस्थ नेताओं पर अपने-अपने ढंग से दबाव बना भी रहे थे.इस गुटबाजी की भनक राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर तमाम शीर्षस्थ नेताओं को लग चुकी थी इसी के मद्देनज़र अमित शाह ने गुटबाजी समाप्त करने के रास्ते तलाशने लगे और अंत में फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाये जाने तथा गडकरी को केंद्रीय वित्त मंत्री का पद देने का निर्णय लेकर गुटबाजी को पूर्ण विराम दे दिया।
इससे पूर्व भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गडकरी से मुलाकात कर उनसे गुजारिश की थी कि हमने चुनाव पूर्व फडणवीस से मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था, जिसे हर-हाल में पूरा करना है आप इस दौड़ से खुद को दूर कर लीजिये,जिसके बदले में हम आपको दिल्ली में ही और अधिक मजबूत करने का वादा करते हैं.
शाह और गडकरी के उक्त मुलाकात के बाद गडकरी “बैकफुट” पर आ गए.इस बीच भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह,प्रधानमंत्री मोदी सह भाजपा के दिग्गज नेताओं के मध्य गडकरी को और “हैवीवेट” करने के मामले पर गहन मंथन कर निर्णय लिया गया कि गडकरी को वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा जायेगा। वे अपने गुणवत्ता के अनुसार सहर्ष स्वीकार कर लेंगे और हकीकत में जब उक्त प्रस्ताव गडकरी को दिया गया तो उन्होंने सहर्ष प्रस्ताव पर हामी भर दी.
कयास लगाये जा रहे है कि देवेन्द्र फडणवीस मंत्रिमंडल गठन के पश्चात् गडकरी की पदोन्नत(ताजपोशी) समारोह में शरीक होंगे.
लोकाभिमुख छवि को धूमिल करने का प्रयास ?
राजनीत को तोड़-मड़ोड़ कर समझने वालों के अनुसार गडकरी की छवि लोकाभिमुख है,वह इसलिए कि उनके द्वारा किये गए कार्य दीर्घकालीन जनहितार्थ और अल्प खर्चीले होते है.इस सोच को साकार करने वाले को तवज्जो देते है.जिसकी वजह से देश-दुनिया में गडकरी का उच्च गुणवत्तायुक्त राजनेताओं में नाम शुमार है.युति सरकार में सार्वजानिक लोकनिर्माणकार्य मंत्री रहते हुए जितने भी कार्य किये लोकप्रिय है.
उनके हितचिंतकों में हर हाथ में मोबाइल थमाने वाले स्वर्गीय धीरूभाई अम्बानी भी उनके बड़े समर्थक-प्रशंसकों में से अग्रगण्य थे. ६ माह पूर्व लोकसभा चुनाव जीतने के बाद केंद्र में भाजपा सत्ता में काबिज होते ही उन्हें परिवहन व राष्ट्रीय महामार्ग मंत्री बनाया गया. मंत्री बनते ही ऐसी जानदार शुरुआत की कि देश के कोने-कोने में प्रधानमंत्री मोदी के बाद गडकरी की भी तूती बजने लगी. और इस बीच महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी “गडकरी इफेक्ट” दिखने लगा.संभवतः इससे छतिग्रस्त भाजपा के तथाकथित राष्ट्रीय नेताओं ने सीधे जनमानस में उनके निखरते छवि से सहम गए और महाराष्ट्र की राजनीत से उनका वर्चस्व कम करने की कवायद शुरू कर दी.फलतः
उन्हें भारी-भरक्कम वित्त मंत्रालय का जिम्मा सौंपने की ठानी.इस पूरी प्रक्रिया के बाद गडकरी का महाराष्ट्र से लगभग अलग-थलग कर दिया गया,जिससे लोकाभिमुख छवि धूमिल होती नज़र आ रही है.
पृथक विदर्भ पर भाजपा की दोगली नीति ?
विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने खंभ ठोक कर वादा किया था कि राज्य में सत्ता पर काबिज होते ही विदर्भ को पृथक कर देगी।
वहीं शिवसेना-भाजपा गठबंधन करने सन्दर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे रहते हुए विदर्भ को महाराष्ट्र से अलग नहीं किया जा सकता है.किन्तु क्षेत्रीय नेताओं ने अपना राग अलापते हुए चुनाव जीतने के पीछे विदर्भ को मुद्दा बनाकर पृथक राज्य बनाने का दावा ठोकते रहे.प्रधानमंत्री व महाराष्ट्र के नेताओं की बयानों से विदर्भ पर दोगली राजनीति नज़र आई. अब विस चुनाव में सफलता प्राप्त करने के बाद भाजपा के मुख से पृथक विदर्भ का मुद्दा लगभग गायब हो गया.
- राजीव रंजन कुशवाहा