नागपुर टुडे
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मुहाने पर शहर में एक ही नाम के दो राजनैतिक दिग्गजों में खुद को श्रेष्ठ साबित करने की होड़ मची हुई है, एक कांग्रेस से हैं जो इन दिनों जिले के पालकमंत्री हैं तो दूसरे भाजपा से हैं जो स्थानीय सांसद सह केंद्र हैवीवेट मंत्री है. दोनों ही इन दिनों काफी व्यस्त है. इनकी रोजाना दिल्ली, मुंबई और नागपुर में दिग्गज अधिकारियों के संग जनहितार्थ मुद्दों को लेकर बैठकों का दौर होता है. दोनों नेता कर्मठ हैं. अब देखना यह है कि कौन सा नेता विस चुनाव में अपने पक्ष को अपने हुनर से सुहाने दिन दिखाता है. यहां बात हो रही है नागपुर के संसद नितिन गडकरी और जिले के पालक मंत्री नितिन राऊत की.
ज्ञात हो कि विधानसभा चुनाव आचार संहिता सितम्बर माह में कभी भी चुनाव आयोग द्वारा घोषित किया सकता है,इसलिए नागपुर के मंत्री द्वय दोनों नितिन सम्पूर्ण अगस्त माह बैठकों में व्यस्त रहे है, इसलिए कि दोनों नागपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. दोनों अपने-अपने अधिकार क्षेत्र के दायरे में रहकर नागपुर के मतदातओं के बीच यह साबित करना चाह रहे हैं कि अल्पावधि में सर्वागीण विकास का श्रेय उन्हें जाता है. भविष्य में उन्हें (दोनों) फिर मौका मिला तो वे निश्चित ही नागपुर की काया पलट कर विश्व के चुनिन्दा १० शहरों के क्रम में ला खड़ा करेंगे. इनके संघर्ष में राज्य और केंद्र के दिग्गज अधिकारियों की नींद हराम हो गई है, इसी वजह से उनका काम उम्मीद से ज्यादा बढ़ गया है.
इसके अलावा दोनों नितिन अपने पक्ष-संगठन मामले में भी कोताही नहीं बरत रहे है, दोनों के सिर पर नागपुर शहर समेत जिले की १२ विधानसभा सीटों का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष बोझ है. पालकमंत्री नितिन राऊत को गठबंधन धर्म निभाते हुए एनसीपी को तो वहीँ केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को शिवसेना को साथ लेकर चलना मज़बूरी है. एकतरफा चलने से उनकी राजनैतिक छवि को धक्का लग सकता है,जिसका लाभ विरोधी उठाने से नहीं चूकेंगे.
गडकरी की नागपुर को लेकर इच्छा यह है कि नागपुर वर्ल्ड क्लास सिटी के रूप में विकसित हो तो कांग्रेसी नितिन की मंशा यह है कि नागपुर का विकास अपग्रेडेड टूरिज्म सिटी के रूप में किया जाये. दोनों की मंशा एकदम साफ है कि नागपुर में रोजगार के अवसर पैदा कर वर्षो से बाहर पलायन करने वाले युवा, शिक्षित युवाओं को उचित अवसर प्रदान कर यही रोका जाये.
यह कम ही जनता-जनार्दन जानती है कि पक्षीय राजनीति से परे दोनों नितिन एक-दूसरे के बेहद करीबी है.कभी भी एक-दुसरे के आड़े नहीं आए. फिर चाहे निजी अवसर हो या फिर जनहितार्थ पहल, कांग्रेसी नितिन ने भाजपाई नितिन की इच्छापूर्ति के लिए ११वें घंटे में उनके मेट्रो प्रकल्प के उद्घाटन कार्यक्रम को सफल बनाने में झटपट अपना योगदान दिया.
विगत दिनों नितिन राऊत ने सार्वजानिक रूप से कहा था कि वे दिल्ली के नितिन है ओर मैं गली का. इसका सकारात्मक अर्थ यह है कि केंद्रीय मंत्री नितिन का काफी सम्मान करते है,करे भी क्यों नहीं भाजपाई नितिन के कार्यशैली के स्वर्गीय धीरुभाई अम्बानी भी फैन थे.
उल्लेखनीय यह है कि विगत विधानसभा चुनाव में जिले की १२ विधानसभा सीटों में से भाजपा गठबंधन के पास ८ और कांग्रेस के पास ४ सीटें थी.कांग्रेस को इस आकड़ों को बढ़ाना और भाजपा को पिछला आकडा कायम रखना प्राथमिक चुनौती है.इसके लिए सही
उम्मीदवारों का चयन,जातिगत समीकरण को अहमियत दी जाएगी.
नितिन बनाम नितिन : विधान सभा चुनाव में होगी प्रतिष्ठा की जंग!